बुधवार, 29 मार्च 2023

पिता

                                                                     पिता 
पिता होना कोई आसान है।  पिता होने के बाद सिर्फ माँ नहीं बल्कि पिता में भी बदलाव होता है। जो आदमी अभी तक अपने बारे में सोचता , अपने लिए पैसे खर्च करता, थोड़ी थोड़ी बात में गुस्सा करना, ज़िद करना लेकिन जैसे ही वो पिता बनता है सारी चीज़ें बदल जाती है।  सबसे बड़ा बदलाव होता है गुस्सा कम करना क्यूँकि अब उसकी जिंदगी में एक और इंसान आ गया है ज़िद करने वाला।  अब उसे एक बच्चे को सम्हालना है और साथ ही साथ अपनी पत्नी को भी।  माँ एक बच्चे को सम्हालती है परन्तु पिता माँ और बच्चा दोनों को ख्याल रखता है हर पल। अब वो पैसे और कमाना  चाहता है अपने लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के लिए क्यूंकि अब उसका एक परिवार है जिसका ख्याल उसे रखना है।

 अच्छा , पिता अपनी जिंदगी में बच्चे के लिए कुछ भी करे पर फिर भी वो उतना करीब नहीं आ पता जितना माँ होती है।  पिता अपने बच्चे से बहुत प्यार करता है पर पता नहीं क्यूं दिखा नहीं पाता शायद उन्हें दिखाना नहीं आता।  माँ को सारे अहसास दिखाते आता है प्यार, गुस्सा, ग़म उदासी, ख़ुशी .... और माँ जीत जाती है बच्चे के करीब आने से। 

     मुझे याद है जब पहली बार मेरा चयन नवोदय विद्यालय में हुआ था। पापा मुझे हॉस्टल में छोड़ कर आये , उन्हें तो कभी मुझे वह भेजना ही नहीं था पर मेरी ज़िद थी हॉस्टल में पढ़ना। जिस मेरे माता पिता मुझे छोड़ कर आये वो बार बार पलट कर देख रहे थे कि में उन्हें देखूँ और अपना विचार बदलूँ पर में मुड़  कर भी नहीं देखी उस दिन पापा घर आकर खाना ही अच्छे से नहीं खा पाए।  माँ बताती हैं की उनकी आँखों में आंसू थे और उदास भी थे की मैंने मुड़ कर भी उन्हें नहीं देखा। मेरे पिता ने उस समय भी अपना अहसास मुझे नहीं बता पाए और अभी भी नहीं बताते। पिता ऐसे ही होते हैं वो कभी जता ही नहीं पाते कि वो हमसे कितना प्यार करते हैं और हम बच्चे कोशिश भी नहीं करते उनको समझने की हालाँकि पिता समझ जाते हैं बच्चो का हर एक अहसास बिना कहे ही।  

सच में !! कुछ तो जादू होता है उनके पास बिना कहे समझ जाना कि बच्चे को क्या चाहिए।  वो कहते हैं न की एक पिता भले ही कोई राजा न हो पर उसके बच्चे को हमेशा वो एक राजकुमार या राजकुमारी की तरह रखते हैं ऐसा तो मैंने खुद ही महसूस किया है और जिया भी है।  पापा से कभी कुछ मुझे माँगना ही नहीं पड़ा पता नहीं कैसे बिना मांगे सब मिल जाता। पिता अमीर हो या न हो पर दिल के अमीर होते हैं और अपने बच्चों के लिए सबसे अमीर। 

  पिता बच्चों को सामने बैठ कर भले ही कुछ न समझाए पर माँ के जरिये ही वो समझाते हैं। ऐसा आज के जमाने में नहीं होता पर हमारे समय पर पिता ऐसे ही होते थे। वो बच्चो को प्यार नहीं दिखाते थे क्यूंकि वो बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे।  जो बहुत जरुरी है। बच्चें कही बड़े हो भी जाये पर फिर भी पिता को चिंता रहती है बच्चे की कि मेरा बेटा या बेटी बड़े होकर क्या करेंगे, क्या वो इतने काबिल बन गए हैं कि मेरा बिना रह सकते हैं।  ये चिंता हर एक पिता को होती है।  सोचा जाये तो ये एक बड़ा बलिदान है क्यूंकि पिता बनने के बाद इंसान सिर्फ पिता और पति होता है फिर उसे खुद के लिए सोचने के लिए समय ही नहीं होता।  
                         

         पिता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरीके से बच्चों को जिंदगी की सभी चीज़ें सिखाते हैं फिर चाहे वो रिश्ते की कीमत हो या की किसी चीज़ की। मुझे याद है की मेरे पापा मुझे बोलते थे कि एक घूँट , एक गिलास या आधा गिलास पानी लाना।।। ये निर्भर करता था कि उन्हें प्यास कितनी लगी है।  हम हँसते थे कि एक गिलास बोलिये ये "एक घूँट या आधा गिलास पानी लाना" क्या होता है।  तो पापा बोलते थे क्यूँ पानी बर्बाद करना जब सिर्फ एक घूँट की प्यास लगी है।  अब लगता है सही बोलते हैं पापा कि पानी भले ही मुफ्त में मिलता है पर बहुत कीमती है उसकी इज्जत करना सीखो।  ठीक उसी तरह रिश्ते भी मुफ्त में मिलते हैं पर बहुत कीमती है इज्जत करना सीखो। 
पापा के बारे में बताने को बहुत कुछ है पर ज्यादा लम्बा ब्लॉग लिखना सही नहीं है , अभी इतना बस ही  बाकि कभी और लिखूँगी।  ये मेरा पहला ब्लॉग है सोचा पापा के लिए लिखूँ  कैसा लगा जरूर बताइएगा    
                    

2 टिप्‍पणियां: